(आज की ये पोएम ये creation special इसलिए हैं क्यूंकि ये हमने तब लिखी जब हम एक दिन रेलगाडी का सफर कर रहे थे वो कटे हैं न की ये रेल यूँ तो कई शेहरो से गुज़रती हैं मगर जब ये तेरे गाँव से गुज़रे तो ग़ज़ल होती हैं ट्रेन के अंदर आप जानते हैं न की ट्रेन हिलती रहती हैं पेन पकड़ना भी मुश्किल होता हैं न कोई टेबल होती हैं बस बहुत सारे ख्याल होते हैं वो ख्याल क्या थे जब कोई आपके आस पास होता हैं आपकी नज़र के सामने होता हैं )
जिसको दुनिया की नज़र से बचा के रखा
जिसको एक उम्र अपने सीने से लगा के रखा
बात कभी हो ना पायी उससे
चलिए रेलगाडी के एक सफर में ही सही उसको अपनी नज़र के सामने रखा
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