Saturday, August 30, 2008

31st august closing

अरे! sunday को कोई poem shoem नहीं बस kids masti and dhamaal

KEEP SMILING AND KEEP ROCKINGGGGGGGGGGGGGGG

31st august opening

sundayyyyyyyyyyyyyyyyyyy so no poem just the kids masti

30th august closing poem

ये प्यार कब हुआ कैसे हुआ कुछ पता ना चला
मैं कब उसका हो गया एक पल मे उसके प्यार मे खो गया
कुछ पता ना चला
कब उसका हाथ पकड़ कर नींद मे मैं उससे घंटो बातें करता रहा
कब रात सोने से पहले अपनी आँखें बंद कर उसको ढूंढ़तारहा
कब उसको गले लगाया कब एक पल मे उसको अपना बनाया
कुछ पता ना चला
कब वो मेरे सपनो मे आने लगा कब देर रात तक मुझे जगाने लगा
सब पता ना चला पर ये पता ना चला
कब एक पल और उसके साथ बिताया वो एक लम्हा
बार बार पुरे दिन मे हर बार याद आने लगा
मैं जाने अनजाने कब उसका दीवाना बना
और मैं दीवानों के नाम से हर जगह जाना जाने लगा
वो शायद किसी और की पर कैसे ये दिल उसका हो गया
सब पता चला पर ये पता ना चला

30th august opening

मुश्किल होने लगा था उसकी आँखों मे खुद को ना देख पाना
मुश्किल होने लगा था इस दिल को जूठी तस्सल्ली दे जाना
क्यूंकि उससे मिल के रिश्तो को मैं पहचान पाया
वो खुद एक परी सी हैं उसके बारे मे बस इतना जान पाया
मुश्किल होने लगा था
हर बार के दर्द को यूँ हर बार मुस्कुरा के छुपा जाना
उसपे ये बात उसकी कि कुछ कहना नहीं और कभी हर बात कह जाना
उसकी मुस्कराहट उसकी चाहत उसकी आँखें उसकी बातें
उसकी मेहंदी और वो उसका आँचल
वो उसकी जुल्फों का बादल
और उसकी हर बात कैसे भूल जाना
कुछ मुश्किलें अच्छी लगती हैं
पर अब बहुत मुश्किल उसके बिन एक पल भी रह जाना

29th august closing

भूल नहीं पाते उन्हें एक पल के लिए
पर रोया भी नहीं जाता हर एक पल के लिए
मिला जो वो यूँ मिलकर
बिछड़ गया ज़िन्दगी के लिए
अब किसी से दिल लगाया नहीं जाता दिल्लगी के लिए
माना ये बात हर किसी को नहीं लगती अच्छी
पर हर कोई अजनबी याद नहीं रखता दिल लगाने के लिए
यूँ तो खुदा से जो माँगा वो पाया दुआ मे
पर हर दुआ कहाँ कबूल होती हैं किसी को अपना बनाने के लिए
वो आएगा ना कभी लौट कर ये जानते हैं
फिर भी दिल धड़कता हैं हर पल उसे मनाने के लिए

29th august opening

कितने इत्मीनान से ठुकरा गया मुझे
आंसू बनाकर आँख से टपका गया मुझे
ये कैसा खेल था ये कैसा फरेब था
मंजिल दिख कर मेरी राह से भटका गया मुझे
खामोश निगाहों से कहानी सुना गया मुझे
लाब्जो के हेर फेर मे अटका गया मुझे
मुझसे भी बचपन का एक मजाक किया उसने
एक मजाक कर छोटी सी हंसी मे अपनी उडा गया मुझे
दो दिन मे उसके दिल से मोहब्बर उतर गयी
और दो दिन मे ही अपनी यादो से मिटा गया मुझे
ना जाने कितने इत्मीनान से ठुकरा गया मुझे

28th august closing poem

कभी तुम इधर से गुज़र के तो देखो
मेरी आँखों से मेरे दिल मे उतर के तो देखो
यहाँ तुमको अपनी मोहब्बत मिलेगी
कभी इन आँखों मे अपनी आँखें दाल कर तो देखो
बहुत गम दिए थे हमे ज़िन्दगी ने
खिलोनो से बहलाकर बहुत रुलाया किसी ने
मगर तुमने आकर मेरे जख्म भरे सारे
निगाहों मे बसा कर कहा अंकित तुम सब से प्यारे
दिए जल रहे थे सितारे बसे थे
मेरे आंसुओ को किसी ने ना देखा
कभी क्या तुम मेरे पास से गुज़रे थे
क्यों रोते रोते मैं चुप सा हो गया
तुने एक बार मुझे प्यार से देखा
और ये अंकित सिर्फ तेरा हो गया
लाख बार मना किया कि इन बिखरे बालो को बाँध के रखा कर
इन पलकों को ज़रा ऐसे ना ढका कर
कभी तुम इधर से गुज़र कर तो देखो
अब इस बात पर भी smile करते हुए ज़रा पास आकर तो देखो

28th august opening poem

कहीं मिट्टी ना हो जाए ये दिल मेरा
बहुत संभाल के रखा हैं किसी को दिल मे मैंने
उसकी हर बात वही क़ैद हैं
जहाँ किसी के जज़्बात दफ़न हैं
और कितना कहर बरपायेगा ए मेरे कातिल
तेरी हर बात बस वही पे दफ़न हैं
कहा मैंने की खुले बालो मे खुबसूरत लगती हो
पर खुबसूरत एक चाँद काजल का ज़रूर गालो पर लगा लेना
सुना हैं काले चाँद को ना किसी की नज़र लगती हैं
अब झील किनारे जाना भी मैंने छोड़ दिया
झील के पानी मे भी मुझे तेरी तस्वीर सी लगती हैं
कह दे एक बार तो साँस भी ना लू
इन साँसों को भी अब तेरी आदत सी लगती हैं

27 th august closing poem

दिल उदास हैं बहुत कोई पैगाम ही लिख दो
तुम अपना नाम ना लिखो गुमनाम ही लिख दो
मेरी किस्मत मे इंतज़ार हैं लेकिन
पूरी उम्र ना लिखो एक शाम ही लिख दो
ज़रूरी नहीं कि मिल जाए सुकून हर किसी को
बैचैनियो की एक किताब मेरे नाम भी लिख दो
जानता हूँ तेरे जाने के बाद मुझे तनहा ही रहना हैं
पूरा दिन ना सही पल दो पल मेरे नाम भी लिख दो
चलो हम मानते हैं कि सजा के काबिल हैं हम
कोई इनाम ना सही इल्जाम ही लिख दो
रात चाँद तेरे दीदार को छत पर टहलता हैं
उसकी चाँदनी के नाम बस एक बात ही लिख दो
मैं तो लिखना चाहू पूरी किताब तुम पर
हँसता हैं ये ज़माना मुझ पर
लिखना तो शायरों का काम हैं
तुम इस दीवाने के नाम बस अपनी एक मुस्कराहट ही लिख दो

27th august opening

मैं नहीं करता वादा लेकिन कोशिश जारी हर लम्हा हैं
दे सकू आपको सारी खुशिया
बस यही कोशिश जारी हर लम्हा हैं
मैं नहीं दूंगा आपका नाम किसी शायर के नाम को
मैं शायर बनू ना बनू बनेगी दीवानी वो भी एक दिन एक शाम को
बस उस शाम का इंतज़ार जारी हैं
सच्ची मोहब्बत मिले ना मिले
लेकिन मोहब्बत मिलेगी उसके लिए
मेहनत का ये दौर ना जाने कबसे जारी हैं
वो जो लब्ज़ किसी का हाल - ए - दिल हैं
हाय ये हाल ए दिल बस यही कह पाने की कोशिश जारी हैं
मुकाम मोहब्बत का अंजाम बता देता हैं
या कहिये की मोहब्बत का अंजाम होता हैं
बस तुझे देख तेरे कई दीवाने हुए अब मेरी बारी हैं
तभी तो तेरी तमाम यादों से अब इस दीवाने की यारी हैं

26th august opening and closing poem

कुछ आपके बारे मे हमने सुना था
कुछ दिल ने बता दिया
मैं हर चीज़ मे तेरा ही इंतज़ार करता था
तुने मुझे इतने साल बाद भी इंतज़ार का मतलब बता दिया
तेरी आँखें मुझे झील सी नहीं
वो मुझे मुझ सी लगती हैं
तेरी हर नज़र क्यों मुझको तकती हैं
तु बहुत खुबसूरत जानता हूँ
पर क्यों वो खूबसूरती भी अब तुझसे जलती हैं
जूठा गुस्सा हमेशा नाक पर तेरी रहता हैं
क्यों सच्चे प्यार को छिपाए रहती हैं
पता हैं सुनकर मुझे इस पल भी तु मुस्कुरा रही हैं
पर ७ से ११ कि बिग चाय की ये ट्रेन कहाँ आने देती हैं
साथ रहेंगे हमेशा वादा ये पक्का
वजह सांस लेने की मेरे ये बता रही हैं
दिल मे सच्चा प्यार छुपाती हैं

25th august - aaj to jeet aaya tha ankit nahi

आज अंकित की बजाय शो जीत ने किया :-(

24th august - sundayyyyyyyyyyyy

sundayyyyyyyyyyyyyyyy

23rd august closing poem


देखा था कल उसे मेले मे

बैठी थी वो दूर कहीं अकेले मे

सोचा किसी का इंतज़ार होगा

कोई तो उसका भी प्यार होगा

थी गुमसुम ख्यालो मे खोयी हुई

गब्राहत थी चहरे पर उसके

लगता था कि पूरी रात आँखों से रोई हुयी

नहीं जानता था मैं उसे

ना मिला था उससे पहले कभी

कुछ पल हुए थे देखते उसे

लगा सदिया बीत गयी अभी अभी

उसकी बैचैनी देखकर मैं भी बैचैन होने लगा था

अपनी सी लगने लगी थी वो

शायद मुझे उससे प्यार होने लगा था

वो मासूमियत वो उसका भोलापन

कुछ नहीं कहकर भी उसका वो अपनाpan

aankhon me bas gayi surat usaki

dil usake khyalo me kho gaya

jaanta nahi kaun thi vo

mela khatam hua aur vo chehara bheed me kahin kho gaya

23rd august opening

रह ना पाओगे कभी भूल कर देखो
यकीं ना मेरी बात पर हो तो हमे आजमाकर देखो
हर जगह महसूस होगी कमी हमारी
अपने घर को कितना भी सजा कर देखो
चलो चलते हैं उस जहांमे
जहाँ रिश्तो का नाम नहीं पूछा जाता
धडकनों पर कोई बंदिश नहीं
ख्वाबो पर कोई इल्जाम नहीं लगाया जाता
जिस्म ना हो साथ तो भी क्या
साँसों का हिसाब किसी को दिया नहीं जाता
पर कहाँ होगा ऐसा जहां मुझे मालूम नहीं
हैं तारो पर या सितारों पर
पर क्या करे चाँद तारो पर घर नहीं बसाया जाता
चाँद से प्यार तो बहुत करता हूँ मैं
पर क्या करे चाँद से दिल नहीं लगाया जाता
इसीलिए सारी कायनात छोड़ हम तुझसे प्यार करते हैं
एक ही बात समझ आती हैं
कि ए खुबसूरत तुझसे बहुत प्यार करते हैं

22nd august closing

तुम्हारी पलकों मे बसा हुआ ख्वाब हूँ मैं
रात अंधेरे मे जो साफ़ नज़र आता हूँ
वो ख्वाब से भी गहरा ख्याल हूँ मैं
तेरी यादें अब मुझे ऐसे तडपाती हैं
जैसे मछली पानी से गरम रेत पर आती हैं
तु तो चाँद पलो के लिए आती हैं
पर तेरे जाने के बाद नज़ारे बस उसी मोड़ पर टिक जाती हैं
रात सोने का ख्याल तो मैं अब छोड़ चूका हूँ
आँख बंद होने पर भी नींद किस कमबख्त को आती हैं
तु करवट बदल कर जब तकिये पे हाथ रखती हैं
जलन हमे तेरे तकिये से होती जाती हैं
तेरी बिखरी जुल्फे वो बड़ी बड़ी आँखें
ना पूछ क्या कहर ढाती हैं
आवाज़ आती हैं दिल से
पर होठो तक आकर रुक जाती हैं

22nd august opening

मोहब्बत मे क्या बताये क्या पा गए हैं
और हम क्या खो गए हैं
उनसे जीत कर भी अपना दिल हार गए हैं
वो दिल से दूर रह कर भी
रात से करीब हमारे हो गए हैं
बेगाने होकर भी वो इस दिल-ए-नादान के खुदा हो गए हैं
इश्क मे जोर चलता नहीं इस दीवाने का
दीवाने खुद तेरे दीवाने हो गए हैं
वो जब हमे देख थोडा सा मुस्कुरा देते हैं
तेरी कसम हम खुदा को भुला देते हैं
क्या मोहब्बत की अदा से हमको आजमा रहे हैं
या नजरो से एक और दीवाना बना रहे हैं
क्या किसी से शिकवा करे जब अपना ही दिल हार गए
जाना था अपने घर और तेरे घर पहुँच गए

21st august closing

दिल की आग के इस धुएँ मे
अपनी मंजिल खो बैठे
तेरी यादो की आंधी ऐसी आई
कि हम ना जाने क्या कर बैठे
शायद किसी सपने मे तेरी एक झलक दिख जाए
इसीलिए स्टूडियो मे बैठे बैठे
कुछ देर के लिए अपनी आँखें बंद कर सो बैठे
हर उम्मीद तेरी उम्मीद होती हैं
हर दुआ तेरी दुआ होती हैं
हर उम्मीद मे हर दुआ मे तु नज़र आये
इसीलिए ना जाने क्यों हम उस खुदा तक को मान बैठे
हम थे नादान जो एक उड़ते बादल से दिल लगा बैठे
तुझे कोई प्यार करता रहा और हम
तुझे अपना बनाते रहे
सोचा था क्या और वो क्या कर बैठे
हम जिस पर जीते रहे उसी से सबसे ज्यादा प्यार कर बैठे
उसकी मोहब्बत को किसी की नज़र ना लगे
बस इसीलिए बार बार मंदिर मे जाकर हम
खुदा से भगवान् से उसके बारे मे शिकायत नहीं करते रहे

21st aug opening

ए मेरे दिल उसकी इल्तजा कर
फिर भी वो ना आये तो उस खुदा से उसके आने की दुआ कर
क्या जाने साथ कहाँ तक दे ये ज़िन्दगी
हंसते हुए ज़माने मे हंसते हंसते तु उससे मिला कर
नाज़ुक बहुत हैं दिल इसे सम्हाल कर रखना
हर अजनबी नज़र से रिश्ता किया कर
ये सोच तो मुझे कहीं का नहीं रखती मेरे कातिल
ख्वाबो कि रोज़ रोज़ ना ऐसे तु चादर बिना कर
कल हम मे से किसी ने नहीं देखा
बस आज हैं तो आज मे रहा कर
अपने मन कि हर बात किसी से तो कहते नहीं
बस अंकित हैं तो अंकित से तो कहा करो

20th august closing poem

न भूलेगी वो शाम हमको
जब देखा था तुमने हमको
आंखों मे झांकना तो बहुत आता था
पर किसी के दिल मे झांकना सिखाया तुमने हमको
दिन मे जागना तो बहुत आता था
पर रातो मे जागना सिखाया तुमने हमको
....................................
पर इस पुरी दुनिया से लड़ना सिखाया तुमने हमको
वफ़ा से वफ़ा करना भी खूब आता था
पर बेवफाई से ...................
मेरे और ग़ालिब के नाम पढ़ना तो खूब आता था हमको
पर मेरी कलम को प्यार से आगे बढ़ना सिखाया तुमने हमको

20th august opening

यूँ मुस्कुरा मेरे दिल कि तुझपे प्यार आ जाये ए मेरे दिल
तु ही तो हैं वो मेरा दिल धड़कने जिसकी यहाँ धड़कती हैं
ए मेरा दिल
मेरी आँखों मे तु झांक मोहब्बत से ज्यादा मोहब्बत मिलेगी
दिल मे जो प्यार की आग सिर्फ तेरे लिए हैं
हमेशा यहाँ जलती रहेगी
दिल को सीने मे दबाये रखा पर धड़कता हैं सिर्फ तेरे लिए
मेरा तो नाम तक लेना भूल गया
पर नाम लेता हैं ये तेरा ये कमबख्त मेरा दिल
आजा मेरे दिल को मिल जा कि इस दिल को मिल जाए दो दिल
फिर मैं कभी ना कह सकू
ये जो सीने मे धड़कता हैं ये तेरा दिल या ये मेरा दिल

19th august closing


सिर्फ़ इतना कहा हैं की प्यार हैं तुमसे

जज्बातों की कोई नुमाइश नही की

चाहो तो भुला देना तुम हमे अपने दिल से

(प्यार मे लडाई होने के बाद किसी को भूलने का दिल करता हैं )

..................................................

.......................................................

......................हमने सिफारिश नही की

खामोशी से तूफ़ान सह लेते हैं जो

उन बदलो से इज़हार की बारिश नही की

तुम्हे ही माना हैं रहनुमा अपना

और किसी चीज़ की ख्वाहिश

अंकित के इस दिल ने नही की

19th august opening

दिल ही दिल मे बस तुमको ही प्यार किया
पर कभी ना भी जुबांसे इकरार किया
सोचा कि समझ जाओगे तुम आंखों की बातें
पर तुमने हमेशा इससे इनकार किया
मेरे जज़्बात जो तुम समझ जाते
तो मुझसे एक पल को भी दूर ना रह पाते
एक पल सुन कर देखो मेरे दिल की धड़कन
तुमको बस अपना नाम सुनाई देगा
और ये बारिश रोज़ बरसती होगी
पर अब बरसे तो तुम्हे हर बूंद मे चेहरा अपना दिखाई देगा
मैं इंतज़ार मे हूँ तुम्हे गले लगाने को
अपने दिल मे पुरी तरह तुम्हे बसाने को

Monday, August 18, 2008

18th august closing poem

इतने बड़े आसमान में से कोना एक हमे दे देते
कोई नाम हम तुम्हे देते कोई नाम तुम हमे दे देते
इतने खेल खेल लेती हो
खेलती हो जब खिलिखिला के हंसती हो
उस हंसी के बाद एक खुशबु तुम सबको दे देती हो
अपनी चुडिया खनका कर मेरे मन की बात जान लेती हो
अपनी बिंदी से दीवाना बनती हो
तुमसे कुछ कहे तो कहे कैसे
कैसे कहे कहो तो यारा
था न जवाब जुबान पे
बिना कहे ही कई सवाल देती हो
न जाने क्या उन हंसी आँखों से कहती हो
और क्या नहीं कहती हो

18th august opening poem

तुम चाहे जुबान से कुछ न कहो
तुम मुझसे मोहब्बत करती रहो
मेरे बारे में सोचती हो
क्यों ये कमाल करती हो
क्यों करवट करवट जगती हो
क्यों छुप छुप कर डायरी लिखती हो
रात में तुम छत पर आकर क्यों तारे गिनती हो
क्यों तुम ये कमाल करती हो
जब कोई सहेली आती हैं
क्यों उसको अलग से ले जाती हो
क्या मैं भी आने वाला हूँ
क्यों ये पूछ कर शर्माती हो
आग तो दोनों तरफ हैं लगी
पर क्यों तुम कुछ न कह पाती हो
जैसा की मैं तुम मैं खोया हूँ
तुम भी मुझमे खोयी रहती हो
तुम चाहे जुबान से कुछ न कहो
पर तुम मुझसे मोहब्बत करती हो

17th august - sundayyyyyyyy

sundayyyyyyyyyy

16th august closing

मेरे पास आके तुम कोई आवाज़ ना करना
दर्द भरी किसी दास्ताँ का आगाज़ ना करना
अपनी बेबसी को खुद ही बयां कर देगा ये
इस चहरे को किसी आईने का मोहताज़ ना करना
राज़ जो खुद से ही ना छुपा पाओ तुम
ऐसे किसी राज़ मे किसी को भी हमराज़ ना करना
नामुमकिन हैं हकीक़त के आसमा मे उड़ना
ख्वाबो के सहारे इसमे कोई नया ख्वाब ना जड़ना
जख्म तो बस जख्म हैं एक दिन फिर भर ही जायेंगे
हुस्न वालो के दिल दुखाने के अंदाज़ याद आयेंगे
ख़ाक से बने हो ख़ाक मे मिल जाओगे
कभी भूल से भी खुद पर नाज़ ना करना
जो आह निकले मुझे याद करके
होठ सिल लेना अपने मुह से कोई आवाज़ ना करना

16th august opening

पल में वो हँसना पल में मानना
खुशियों से मेरा दमन थामना
तुझे देखने के बाद कभी दिल हैं धड़कते
कभी आँखें नम होती
लगता हैं तुझे देखते देखते ही
ये जिंदगी हमारी बसर सी होती
आरजू इस दिल की अरमान हमारे
अब ये दमन किसी का किसी के इंतज़ार से भरा हो
न हौंसले बुलंद न इरादा बनाया
बस मोहब्बत में एक सपनो का घर बनाया
और तुने बस आँखें झुका कर मुझे दीवाना बनाया
कल में रहू या न रहू पर फिर भी दिल में तेरा ख्याल सजाया

Friday, August 15, 2008

15th august closing poem

आज कोई closing poem नहीं पढ़ी

15th august opening poem

देश हमारा आँख का तारा
हम सब हो उस पर कुर्बान
जय जयभारत देश मेरा
इसी देश पर अमर तिरंगा
लहर लहर लहराए
इसी देश मे गंगा जमना
हर पल नीर बहाए
हर पल हमे ये राह दिखाए
हर पल करे हमारा कल्याण
जय जयभारत देश मेरा
जिस को सबने हैं दुलारा
इसी देश का ताज हैं प्यारा
सरे जग का एक सितारा
देश हमारा आँख का तारा
हम सब हो इस पर कुर्बान
देश हमारा आँख का तारा

13th and 14th august

Guys Ankit was on a break after completing the long journey of 105 hours and making the whole udaipur proud at him
we wish that he keep on making such success always in his life and in his words "उसे वो सब कुछ मिले जो बहुत अच्छा हो "

12th august - BIG RJ MARATHON-Ankit created world recorddddddd


hey friends finally Ankit created world record of nonstop RJing for 105 hours and mentioned himself and udaipur in LIMCA BOOK OF WORLD RECORDS
join the victory celebration at 4:00 pm 12th august oriental palace

cheerssssssssssssss :)

8th to 12th august marathon poems

8th august 8:00 pm poem

वो साथ था तो ज़माना था हमसफ़र मेरा
कभी मिले वो तुम्हे यूँही राहो मे तो उसे कह देना
वो साथ था तो ज़माना था हमसफ़र मेरा
मगर अब कोई नहीं मेरे पास उसे कह देना
उसे कहना कि बिन उसके दिन नहीं एक पल को कटता
सिसकिया लेलेके कोई याद मे ना जाने कहाँ से आ अटका
उसे पुकारू तो सोचु खुद पहुँच जाऊ उसके पास
क्यूंकि अब नहीं रहे मेरे पहले से हालत
अगर वो फिर भी ना लोटे तो मेरी मोहब्बत कि किस्मत
मेरी क्या हालत हैं उसके बिना उसे कहना
हर जीत तो शहर के नाम कर दूंगा मैं अपनी
पर मोहब्बत मे तेरी अपना दिल हारा
अगर मिलो उससे तो उसे कह देना

9th अगस्त opening of big chai
भूलना मुझे बहुत आसन हैं
मगर किसी से ज्यादा याद रखना मुमकिन नहीं
जैसे पतझड़ मे सब पत्ते इस पेड़ का साथ छोड़ जाते हैं
क्यों होते हैं वो झुग्नु जो सर्द रात मे भी टिमटिमाते हैं
जब कोई ग़ज़ल तुम्हे सुनाएगा
जब देगा कोई प्यार से तुम्हे आवाज़
सच कहता हूँ तुम्हे बस एक ही नाम याद आएगा
देखो हथेलियों को जब भी तुम
होगी आँख ज़रूर नम जब नहीं मिलेगा वहा मेरा नाम
जब देगा ना कोई साथ तुम्हारा
और लगेगा दुश्मन ये ज़माना
खुद को तनहा कुछ पल को पाओगे
सच कहू उदयपुर हमे साथ पाओगे
हमने तो कर दी ज़िन्दगी आपके नाम
पर आप भी कुछ पल हमारे नाम कर देना

९थ अगस्त
जाना तुम्हे हैं कहाँ जाना मुझे हैं कहाँ
रास्ते कितने अलग हैं और ये रूकावटे भी अलग
फूल जो रास्ते मे बिखरे हैं इनके रंग और महक भी अलग
मेरा सफ़र कट रहा रुक रुक कर और
तुम तूफान की तरह पास से गुज़र गए
मैं तुम्हे दूर जाता देखता रहा
और अपनी आँखें सेकता रहा
और तुम ना पलट के देखा
बस उस मोड़ से ऐसे गुज़र गए



8th august opening poem

हम आज का इंतज़ार ना जाने कबसे करते थे
जबसे आँखों मे बचपन मे सपने आते थे तब से करते थे
बस अब इंतज़ार हैं १०२ घंटो के पूरा होने का
कुछ ने कहा मुश्किल कुछ ने कहा नामुमकिन
मगर आपके प्यार से देखिये ये दिन भी इतनी जल्दी चला आया
अब दिन रात रात दिन अंकित आपके साथ होने वाला हैं
बस दीजियेगा मुझे बहुत सारा प्यार और खूब सारा हौंसला
क्यूंकि प्यार प्यार मोहब्बत का ये सफ़र अब बस शुरू होने वाला हैं

8th august to 12th august BIG RJ MARATHON begins

hey friends with this morning Big RJ marathon begins .the journey for105 hours of nonstop RJing so lets celebrate the victory of being recorded in Limca book of world records .
Ankit Mathur is gonna break limca book of records and he will so celebrateee

All the best Ankit and congrats because we know you will make it

7th august closing poem

मन मे कुछ कर दिखने का जज्बा हो
तो मुश्किलें फिर मुश्किलें नहीं लगती
मन मे कुछ बन दिखने का जज्बा हो
तो मुश्किलें फिर मुश्किलें नहीं लगती
किसी के साथ प्यार करने वालो का ऐसा जज्बा हो
तो मुश्किलें फिर मुश्किलें नहीं लगती

(सब लोगो ने कहा हैं कि अंकित ये बहुत मुश्किल हैं कुछ ने सोचा होगा कि near to impossible हैं पर हमने तो आज दिन तक वही किया हैं जो बहुत मुश्किल था सपने देखना मुच्किल,उनके साथ साथ चलना मुश्किल,सपनो मे जीना मुश्किल और आपको इतना सारा प्यार करना ये मुश्किल नहीं ये बहुत आसान हैं)

7 th august opening poem

इश्क नाम तो नहीं हैं मिलन का दीदार का
दिल से दिल का मिल जाना ही नाम-ए मोहब्बत हैं
जो याद आये तो ना समझना तुम दूर मुझसे
पर यादो मे कोई हर बार तुम्हे देखता जाए
तो जान लेना यही मोहब्बत हैं
वक़्त की कमी जब होने लगे तुम्हारे पास
ये वक़्त बेवफा हमसफ़र पर हो जब तुम उनके साथ
तो समझ लेना ये मोहब्बत हैं
नींद यूँ तो हर रोज़ अच्छे से आती थी
बस अब अगर वक़्त पर ये नींद ना आये तो समझ लेना ये मोहब्बत हैं
जो मौसम बदलता हो मुझे देखने के बाद
तो मत कहना मोहब्बत हैं
पर ये बदलता हुआ मौसम मुझे देखने के बाद कभी ना बदले
तो समझ लेना मोहब्बत हैं

6th august closing poem

अक्सर हमने रातो मे चाँद को ये कहते सुना
कमाल हैं कि कौन हैं इतना खुबसूरत
जिसे तुमने मोहब्बत के लिए चुना हैं
चाँद तो देता हैं सबको बराबर कि रोशनी
हैरत ये हैं कि उस चाँद ने भी अब रोशनी देने के लिए उसे चुना हैं
हर कोई हैं बेखबर उसकी रोशनी से
रोशनी से भी प्यारा एक शक्स हमने चुना हैं
वो तो बस तुम्हारा ख्याल हैं
उससे क्या मेरी बराबरी
गलत ये हैं कि हमने याद करने के लिए उसे चुना हैं
हर कोई नहीं होता अपना समझने वाला
दर्द-ए दिल समझने वाला
शायद यही कारन हैं कि उदयपुर
हमने metro cities छोड़ कर आपको मोहब्बत के लिए चुना हैं

6th august opening poem

मेरी उदासी को मेरी कमजोरी ना समझो
मेरी नाम आँखों को मेरी बेबसी ना समझो
वो लम्हा ही कुछ ऐसा था जब एक पल को तुम दूर जा रहे थे
ना जाने बहते आंसू मेरी आँख के मुझे
क्या समझा रहे थे
उन्होंने पलट कर देखना गवारा ना समझा
और हम उनका इंतज़ार किये जा रहे थे
लोगो से आज भी कहते हैं
ये कल की ही बात हैं
पर ना जाने मेरे सारे दोस्त मुझे क्यों पुराने कैलंडर दिखा रहे थे
और कई साल ऐसे ही गुज़रे जा रहे थे
इसे मेरी कविता ना समझना दोस्त
हम अपने दिल का पन्ना पढ़ कर बता रहे हैं

5th august closing poem

आज कोई poem पढ़ी ही नही बस कहा हमेशा सपने देखियेगा उन्हें पूरा करने के लिए म्हणत करियेगा क्यूंकि लोग कहते हैं कि सपने पुरे नहीं होते और अंकित कहता हैं कि सपने पुरे होते हैं बस उन्हें पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती हैं .

5th august opening poem

रोज़ मेरी धड़कने चाँद के आने का इंतज़ार करती हैं
जानती हैं वो चाँद मेरा नहीं फिर भी उसी का इंतज़ार करती हैं
कल जब चाँद पर नज़र गयी तो वो चाँद कुछ चुप चुप सा नज़र आया
बहुत कुछ कहना चाहता था मुझको
पर बादलो की आड़ मे कुछ ठीक से नज़र ना आया
ऐसे छुप कर देख रहा था मुझको जैसे
तुम चुन्नी से छुप छुप कर देखा करती हो मुझको
गुस्सा होती हो तो दूर बैठ जाती हो
नीची निगाहें करके फिर भी आवाज़ मेरी ही सुनती जाती हो
कमबख्त ये गुस्से की कशमकश चल ही रही थी कि
ना जाने कहाँ से ये बारिश आ गयी
तुम्हारी छोटी से आती सौंधी सौंधी सी खुशबु ला गयी
अब क्या कहू उस चाँद को उसे तो बचपन से एक ही रंग मे देखता आया हु
पर तुम पर तो हर रंग हाय कमाल लगता हैं
बस बारिश के आते ही वो पुरानी यादें दोनों के गुस्से के बीच फिर ताजा हो गयी
बुँदे तो बहार गिरी पर दिल की ज़मीन तेरे प्यार से तर हो गयी
मैंने तुम्हे मुस्कुरा कर देखा और तेरा गुस्सा ना जाने कहाँ काफूर हो गया
और सच कहू तेरी हर बात पे हमे और प्यार आ गया

4th august closing poem

वो घटाए वो फुहारे वो छनक भूल गए
कुछ बच्चे आजकल बारिश मे नहाने की ललक भूल गए
ओस कुछ इस कदर पड़ी घर के गार्डन मे
कि लोन के फूल भी अपनी महक भूल गए
इस कदर ये दिखावटीपना हावी हुआ हैं हर घर मे
कान तरस गए हम बरसो से बस चुडियो की खनक भूल गए
जबसे हवा चली हैं तबसे बस ये पंछी बस चहकना भूल गए
हम ना जाने क्या क्या भूल गए
हमको तो एक रोज़ बस गाँव जाना था
ज़िन्दगी की भाग दौड़ मे हम ना जाने क्या क्या भूल गए
अब तो हम चाँद सितारों को देखकर
उसे याद करते हैं
चाँद सितारों से बस अब बात करना भूल गए

4th august opening

तेरी मुलाकात को याद करते हैं
इसी तरह रात से दिन और दिन से रात करते हैं
मुस्कुरा के अपने गमो को छुपा लेते हैं
पर तुझे बस एक बार और छुप छुप के देखू
हर पल god से बस यही दुआ करते हैं

ईद चली गयी और ले गयी मेरे साजन को
चाँद को देख कर ईद जल्दी आ जाये बस यही
हर पल दिल से दुआ करते हैं
शुक्र करते हैं हम खुदा का
कुछ पालो के लिए ही सही उसने मुझे तुमसे मिलाया
जुबां कहा कुछ कह पाती हैं आँखों से कुछ कहलवाया
तु तो मिलकर चली गयी
तेरी यादें ना जाने वहा क्यों पसर गयी
हर पल जहां देखू मैं बस तु नज़र आती हैं
ना पूछ हाय जब तु जाती हैं तो दिल पर क्या बीतती हैं

3rd august - sundayyyyyyyy

sundayyyyyyyyyy

2nd august closing poem

तुम जिसे रोता हुआ छोड़ कर गए थे एक दिन
हमने उस शाम को अपने सीने से लगा रखा हैं
चैन लेने नहीं देता ये मुझे
हमने तेरी यादो का तूफ़ान हमने अपने दिल मे जगा रखा हैं
जाने वाले ने कहा था एक दिन ज़रूर लौट कर आएगा
बस इसी आस पर हमने दरवाज़ा खुला रखा हैं
तेरे जाने पर उडी जो धुल बस
उसी धुल से हमने अपना घर सजा रखा हैं
मुझको कल शाम से वो बहुत याद आने लगा हैं
सच कहू दिल ने मुद्दत से एक शक्स को दिल मे बिठा रखा हैं
आखिरी बार जब भी आये जुबान पे कोई नाम वो तेरा नाम हो
खुदा से बस यही फरियाद करता हैं दिल
दिल को रिश्वत देकर बस यही समझा रखा हैं

2nd august opening poem

मुझे लगता हैं ऐसा कभी कभी
जैसे वो अजनबी लड़की मुझसे प्यार करती हैं
मुझे चाहती हैं अक्सर मगर
जब भी मिलती हैं बड़ी सी खामोश रहती हैं
मुझे लगता हैं ऐसा कभी कभी
कि जब भी वो सपने बुनती हैं
मेरे ताने बाने के साथ ही कुछ कहती हैं
मुझे देखती हैं परदे के पीछे से छुप छुप कर
ना जाने क्यों छुप छुप कर वो मेरा दीदार करती हैं
अपने आँचल को हवाओ मे लहराती हैं
मेरी दी हुई साडी को बार बार चूमती हैं
शायद मुझे वो बहुत प्यार करती हैं
पर ना जाने क्यों खामोश सी रहती हैं
सुनिए ये कहकर अक्सर वो वहा से भाग जाती हैं
जब भी उसकी यादें मेरी यादो मे आके एक करवट बदल जाती हैं
ये दिल भी कितना पागल हैं
क्या क्या सोचता रहता हैं
वो आँखें बंद करके अपने answers भी याद करती हैं
तो लगता हैं कि वो आँखें बंद कर मेरा दीदार करती हैं
एक पागल सी लड़की चुप रहती हैं
पर मुझसे बहुत प्यार करती हैं

1st august closing poem

याद हैं तेरा वो हँसाना तेरा वो मुस्कुराना
बिना बात के रूठना तेरा
तेरा बस यूँही मान जाना
वो रंग बिरंगी परिंदों सी तु जब चहकती हैं
मत पूछ मेरी जान मेरे दिल पर क्या बीतती हैं
फिजा मे आवाज़ तेरी गूंजती ऐसे
सौ साज़ बजते हो कहीं दूर जैसे
कोई दिल अपना रोके कैसे
जब तरन्नुम हवाओ से बहती जाती हैं
ए खुबसूरत तु जब रूठ जाती हैं
तो और भी खुबसूरत नज़र आती हैं
तेरी आँखों की हर नज़र तूफानी सी लगती हैं
कशिश तेरे दिल की इस दिल को हर बार दस्ती हैं
जुबां से भले ही खामोश रहे तु
पर तेरी वो नज़ारे हमसे हर बात कहती हैं
तेरे आते ही रोशनी चली आती हैं
बस दिल के अँधेरे को यूँही जगमगाती हैं

1st august opening poem

कौन किसी का होता हैं सब झूठे रिश्ते नाते हैं
सब दिल रखने की बातें हैं
सब असली रूप छुपाते हैं
पर गीत प्यार का गाते हैं
लब्जो के तीर चलाते हैं
फिर क्यों वो दिल को दुखाते हैं
एक बार निगाहों मे आकर फिर साड़ी उम्र सताते हैं
लो जिसने हमे अश्क दिए अब हम उनको भूल जाते हैं
खुद तो चैन से सोते हैं पर दीवानों को सारी रात जगाते हैं

31st july closing poem

प्यार मे ये कैसा कमाल होता हैं
हर ख़ुशी मिलती हैं जब वो करीब होता हैं
दिल मे रहने वाला कि तो इस दिल का रकीब होता हैं
एक साया सा बनकर वो साथ रहता हैं
प्यार मे ये क्या कमाल होता हैं
कुछ कहे बिना इस प्यार का इकरार होता हैं
उसकी झुकती पलकों से बयां हर राज़ होता हैं
होठो पर बस एक नाम हमेशा रहता हैं
प्यार मे ना जाने क्या कमाल होता हैं

31st july opening poem

वो अपने इश्क मे कैसा कमाल रखती हैं
अपनी बेरुखी मे भी वो मेरा ख्याल रखती हैं
जो आज मेरी नहीं वो कल मेरी होगी
गुस्सा कितना भी करे पर मेरी मोहब्बत को इज्ज़त से संभल कर रखती हैं
अजब नहीं हैं वो जो जहाँ भर को बेवफा समझे
नज़र मे मेरी वो वफ़ा की मिसाल रखती हैं
कहाँ तक कोई उसकी हर बात का जवाब दे
(बहुत सवाल करती हैं वो )
वो मोहब्बत इस दीवाने से हर बात पे सवाल करती हैं
मेरी उदान के आगे कर दिया उसने सबको बेबस
अपनी दुआओं मे वो ना जाने कितना असर रखती हैं
वो अपने इशाक मे जाने क्या कमाल रखती हैं
अपनी बेरुखी मे भी वो मेरा ख्याल रखती हैं

30th july closing poem

ज़िन्दगी हैं छोटी हर पल मे खुश रहो
तुम ऑफिस मे खुश रहो तुम घर मे खुश रहो
आज पनीर की सब्जी नहीं टीफिन मे
तो दाल की सब्जी मे ही खुश रहो
आज जिम जाने का वक़्त नहीं
तो दो कदम चल कर ही खुश रहो
आज दोस्तों का साथ नहीं तो T.V. देखकर खुश रहो
घर जा नहीं सकते तो फ़ोन पे बात करके खुश रहो
आज कोई नाराज़ हैं तुमसे उसके इसी अंदाज़ मे खुश रहो
जो कभी देखा नहीं तो भाई उसकी आवाज़ से ही खुश रहो
जिसे पा नहीं सकते ज़िन्दगी मे कभी उसकी यादो से ही खुश रहो
MBA करने का सोचा था entrance clear नहीं हुआ
अरे उसके लिए मेहनत तो की ये सोच के खुश रहो
laptop ना मिला तो क्या ऑफिस के desktop मे खुश रहो
बीता हुआ कल जा चूका हैं उसकी मीठी यादो मे खुश रहो
आने वाले पल का पता नहीं कौन कब किधर चला जायेगा
जब तक तुम्हारे साथ हैं उस साथ के बारे मे सोचकर खुश रहो
हंसते हंसते ये पल बीतेंगे अपने आज मे भी खुश रहो
अपने कल मे भी खुश रहो
ज़िन्दगी हैं छोटी छोटे छोटे इन पालो मे भी खुश रहो

30th july opening poem

दिल को आता हैं जब भी ख्याल उनका
तस्वीर से पूछते हैं फिर हम हाल उनका
वो कभी हमसे पूछा करते थे जुदाई क्या हैं
आज समझ मे आया हैं ये सवाल उनका
रोज़ जब मिलती थी मुझसे
मुझसे पूछा करती थी
मुझे ख़त लिखोगे क्या
यही बोला करती थी
पर गाँव मे डाकिया नहीं आता
अब समझ मे आया ये जाल उनका
सपनो से शिकायत नहीं मुझको
पर क्यों तुम मुझे सपने दिखाते हो
तुम गैर होकर भी मुझे क्यों सपने दिखाते हो
जानता हूँ एक राह चुननी मुश्किल होगी
फिर क्यों तुम रोज़ मुझे उस चौराहे पे बुलाते हो

29th july बातो बातो मे closing poem

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होश मे तो मेरा नाम लेती नहीं
पर नींद मे ज़रूर मेरा नाम लेना
किस तरह बताऊ कि खुशनसीब हु मैं
वो करती हैं प्यार प्यार का नसीब हूँ मैं

29th july closing

it was dialogue of kal ho na ho

29th july opening poem

दिल हैं कि भूलता ही नहीं यूँ तेरा मुझसे खफा हो जाना
दिल की वफाओ का सिला कुछ इस तरह दिया उसने
कि जख्म भी पाए जख्मो को .........
यूँ तो कई बार देखा हैं ख्वाबो का बिचादना हमने bhi
मगर इस तरह से हवाओ से टकराकर ना देखा हमने किसी का टूट जाना
मैं भी चलो सजा लेता हूँ पलकों पर खून की बुँदे
जाओ तुम भी किसी के साथ गिरफ्तार हो जाना
मैं चुप रहा हूँ चुप ही रहूँगा
फिक्र ज़रा ना करना
जब बारिशो मे हो पथ्थरो की बारिश बस तुम ज़रा सा मुझसे दूर ही रहना
मैंने किसी पत्थर को माना था खुदा अपना पर
वो पत्थर निकला बेगाना

28th july बातो बातो मे opening poem

एक अनजाना सा दर्द हुआ जब महसूस हुआ आपका ना होना
हैं ज़िन्दगी हमारी आपकी ख़ुशी ये साथ आपका हमको ना खोना
ज़िन्दगी से शिकायत नहीं फिर भी ये मन उदास हैं
बस हर पल आपका प्यार पास हो यही मेरे दिल की आस हैं
नहीं समझा हमको कोई शायद हैं तकदीर मे कमी
हैं मगर बहुत प्यार इन आँखों मे
गवाह हैं आँखों की ये बात हैं
दिल जलता हैं ये सोचकर कि कहीं तु दूर ना हो जाए
जिस दिन तु दूर हो जाए ये आँख बस उसी दिन बंद हो जाए