Friday, August 15, 2008

2nd august opening poem

मुझे लगता हैं ऐसा कभी कभी
जैसे वो अजनबी लड़की मुझसे प्यार करती हैं
मुझे चाहती हैं अक्सर मगर
जब भी मिलती हैं बड़ी सी खामोश रहती हैं
मुझे लगता हैं ऐसा कभी कभी
कि जब भी वो सपने बुनती हैं
मेरे ताने बाने के साथ ही कुछ कहती हैं
मुझे देखती हैं परदे के पीछे से छुप छुप कर
ना जाने क्यों छुप छुप कर वो मेरा दीदार करती हैं
अपने आँचल को हवाओ मे लहराती हैं
मेरी दी हुई साडी को बार बार चूमती हैं
शायद मुझे वो बहुत प्यार करती हैं
पर ना जाने क्यों खामोश सी रहती हैं
सुनिए ये कहकर अक्सर वो वहा से भाग जाती हैं
जब भी उसकी यादें मेरी यादो मे आके एक करवट बदल जाती हैं
ये दिल भी कितना पागल हैं
क्या क्या सोचता रहता हैं
वो आँखें बंद करके अपने answers भी याद करती हैं
तो लगता हैं कि वो आँखें बंद कर मेरा दीदार करती हैं
एक पागल सी लड़की चुप रहती हैं
पर मुझसे बहुत प्यार करती हैं

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