दिल को आता हैं जब भी ख्याल उनका
तस्वीर से पूछते हैं फिर हम हाल उनका
वो कभी हमसे पूछा करते थे जुदाई क्या हैं
आज समझ मे आया हैं ये सवाल उनका
रोज़ जब मिलती थी मुझसे
मुझसे पूछा करती थी
मुझे ख़त लिखोगे क्या
यही बोला करती थी
पर गाँव मे डाकिया नहीं आता
अब समझ मे आया ये जाल उनका
सपनो से शिकायत नहीं मुझको
पर क्यों तुम मुझे सपने दिखाते हो
तुम गैर होकर भी मुझे क्यों सपने दिखाते हो
जानता हूँ एक राह चुननी मुश्किल होगी
फिर क्यों तुम रोज़ मुझे उस चौराहे पे बुलाते हो
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