देखा था कल उसे मेले मे
बैठी थी वो दूर कहीं अकेले मे
सोचा किसी का इंतज़ार होगा
कोई तो उसका भी प्यार होगा
थी गुमसुम ख्यालो मे खोयी हुई
गब्राहत थी चहरे पर उसके
लगता था कि पूरी रात आँखों से रोई हुयी
नहीं जानता था मैं उसे
ना मिला था उससे पहले कभी
कुछ पल हुए थे देखते उसे
लगा सदिया बीत गयी अभी अभी
उसकी बैचैनी देखकर मैं भी बैचैन होने लगा था
अपनी सी लगने लगी थी वो
शायद मुझे उससे प्यार होने लगा था
वो मासूमियत वो उसका भोलापन
कुछ नहीं कहकर भी उसका वो अपनाpan
aankhon me bas gayi surat usaki
dil usake khyalo me kho gaya
jaanta nahi kaun thi vo
mela khatam hua aur vo chehara bheed me kahin kho gaya
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