Saturday, August 30, 2008

30th august opening

मुश्किल होने लगा था उसकी आँखों मे खुद को ना देख पाना
मुश्किल होने लगा था इस दिल को जूठी तस्सल्ली दे जाना
क्यूंकि उससे मिल के रिश्तो को मैं पहचान पाया
वो खुद एक परी सी हैं उसके बारे मे बस इतना जान पाया
मुश्किल होने लगा था
हर बार के दर्द को यूँ हर बार मुस्कुरा के छुपा जाना
उसपे ये बात उसकी कि कुछ कहना नहीं और कभी हर बात कह जाना
उसकी मुस्कराहट उसकी चाहत उसकी आँखें उसकी बातें
उसकी मेहंदी और वो उसका आँचल
वो उसकी जुल्फों का बादल
और उसकी हर बात कैसे भूल जाना
कुछ मुश्किलें अच्छी लगती हैं
पर अब बहुत मुश्किल उसके बिन एक पल भी रह जाना

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