Monday, August 18, 2008

16th august closing

मेरे पास आके तुम कोई आवाज़ ना करना
दर्द भरी किसी दास्ताँ का आगाज़ ना करना
अपनी बेबसी को खुद ही बयां कर देगा ये
इस चहरे को किसी आईने का मोहताज़ ना करना
राज़ जो खुद से ही ना छुपा पाओ तुम
ऐसे किसी राज़ मे किसी को भी हमराज़ ना करना
नामुमकिन हैं हकीक़त के आसमा मे उड़ना
ख्वाबो के सहारे इसमे कोई नया ख्वाब ना जड़ना
जख्म तो बस जख्म हैं एक दिन फिर भर ही जायेंगे
हुस्न वालो के दिल दुखाने के अंदाज़ याद आयेंगे
ख़ाक से बने हो ख़ाक मे मिल जाओगे
कभी भूल से भी खुद पर नाज़ ना करना
जो आह निकले मुझे याद करके
होठ सिल लेना अपने मुह से कोई आवाज़ ना करना

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