मेरे पास आके तुम कोई आवाज़ ना करना
दर्द भरी किसी दास्ताँ का आगाज़ ना करना
अपनी बेबसी को खुद ही बयां कर देगा ये
इस चहरे को किसी आईने का मोहताज़ ना करना
राज़ जो खुद से ही ना छुपा पाओ तुम
ऐसे किसी राज़ मे किसी को भी हमराज़ ना करना
नामुमकिन हैं हकीक़त के आसमा मे उड़ना
ख्वाबो के सहारे इसमे कोई नया ख्वाब ना जड़ना
जख्म तो बस जख्म हैं एक दिन फिर भर ही जायेंगे
हुस्न वालो के दिल दुखाने के अंदाज़ याद आयेंगे
ख़ाक से बने हो ख़ाक मे मिल जाओगे
कभी भूल से भी खुद पर नाज़ ना करना
जो आह निकले मुझे याद करके
होठ सिल लेना अपने मुह से कोई आवाज़ ना करना
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