Friday, August 15, 2008

4th august opening

तेरी मुलाकात को याद करते हैं
इसी तरह रात से दिन और दिन से रात करते हैं
मुस्कुरा के अपने गमो को छुपा लेते हैं
पर तुझे बस एक बार और छुप छुप के देखू
हर पल god से बस यही दुआ करते हैं

ईद चली गयी और ले गयी मेरे साजन को
चाँद को देख कर ईद जल्दी आ जाये बस यही
हर पल दिल से दुआ करते हैं
शुक्र करते हैं हम खुदा का
कुछ पालो के लिए ही सही उसने मुझे तुमसे मिलाया
जुबां कहा कुछ कह पाती हैं आँखों से कुछ कहलवाया
तु तो मिलकर चली गयी
तेरी यादें ना जाने वहा क्यों पसर गयी
हर पल जहां देखू मैं बस तु नज़र आती हैं
ना पूछ हाय जब तु जाती हैं तो दिल पर क्या बीतती हैं

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