कितने इत्मीनान से ठुकरा गया मुझे
आंसू बनाकर आँख से टपका गया मुझे
ये कैसा खेल था ये कैसा फरेब था
मंजिल दिख कर मेरी राह से भटका गया मुझे
खामोश निगाहों से कहानी सुना गया मुझे
लाब्जो के हेर फेर मे अटका गया मुझे
मुझसे भी बचपन का एक मजाक किया उसने
एक मजाक कर छोटी सी हंसी मे अपनी उडा गया मुझे
दो दिन मे उसके दिल से मोहब्बर उतर गयी
और दो दिन मे ही अपनी यादो से मिटा गया मुझे
ना जाने कितने इत्मीनान से ठुकरा गया मुझे
No comments:
Post a Comment