Friday, August 15, 2008

1st august opening poem

कौन किसी का होता हैं सब झूठे रिश्ते नाते हैं
सब दिल रखने की बातें हैं
सब असली रूप छुपाते हैं
पर गीत प्यार का गाते हैं
लब्जो के तीर चलाते हैं
फिर क्यों वो दिल को दुखाते हैं
एक बार निगाहों मे आकर फिर साड़ी उम्र सताते हैं
लो जिसने हमे अश्क दिए अब हम उनको भूल जाते हैं
खुद तो चैन से सोते हैं पर दीवानों को सारी रात जगाते हैं

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