कौन किसी का होता हैं सब झूठे रिश्ते नाते हैं
सब दिल रखने की बातें हैं
सब असली रूप छुपाते हैं
पर गीत प्यार का गाते हैं
लब्जो के तीर चलाते हैं
फिर क्यों वो दिल को दुखाते हैं
एक बार निगाहों मे आकर फिर साड़ी उम्र सताते हैं
लो जिसने हमे अश्क दिए अब हम उनको भूल जाते हैं
खुद तो चैन से सोते हैं पर दीवानों को सारी रात जगाते हैं
No comments:
Post a Comment