Saturday, August 30, 2008

21st august closing

दिल की आग के इस धुएँ मे
अपनी मंजिल खो बैठे
तेरी यादो की आंधी ऐसी आई
कि हम ना जाने क्या कर बैठे
शायद किसी सपने मे तेरी एक झलक दिख जाए
इसीलिए स्टूडियो मे बैठे बैठे
कुछ देर के लिए अपनी आँखें बंद कर सो बैठे
हर उम्मीद तेरी उम्मीद होती हैं
हर दुआ तेरी दुआ होती हैं
हर उम्मीद मे हर दुआ मे तु नज़र आये
इसीलिए ना जाने क्यों हम उस खुदा तक को मान बैठे
हम थे नादान जो एक उड़ते बादल से दिल लगा बैठे
तुझे कोई प्यार करता रहा और हम
तुझे अपना बनाते रहे
सोचा था क्या और वो क्या कर बैठे
हम जिस पर जीते रहे उसी से सबसे ज्यादा प्यार कर बैठे
उसकी मोहब्बत को किसी की नज़र ना लगे
बस इसीलिए बार बार मंदिर मे जाकर हम
खुदा से भगवान् से उसके बारे मे शिकायत नहीं करते रहे

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