सिर्फ़ इतना कहा हैं की प्यार हैं तुमसे
जज्बातों की कोई नुमाइश नही की
चाहो तो भुला देना तुम हमे अपने दिल से
(प्यार मे लडाई होने के बाद किसी को भूलने का दिल करता हैं )
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......................हमने सिफारिश नही की
खामोशी से तूफ़ान सह लेते हैं जो
उन बदलो से इज़हार की बारिश नही की
तुम्हे ही माना हैं रहनुमा अपना
और किसी चीज़ की ख्वाहिश
अंकित के इस दिल ने नही की
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