मोहब्बत मे क्या बताये क्या पा गए हैं
और हम क्या खो गए हैं
उनसे जीत कर भी अपना दिल हार गए हैं
वो दिल से दूर रह कर भी
रात से करीब हमारे हो गए हैं
बेगाने होकर भी वो इस दिल-ए-नादान के खुदा हो गए हैं
इश्क मे जोर चलता नहीं इस दीवाने का
दीवाने खुद तेरे दीवाने हो गए हैं
वो जब हमे देख थोडा सा मुस्कुरा देते हैं
तेरी कसम हम खुदा को भुला देते हैं
क्या मोहब्बत की अदा से हमको आजमा रहे हैं
या नजरो से एक और दीवाना बना रहे हैं
क्या किसी से शिकवा करे जब अपना ही दिल हार गए
जाना था अपने घर और तेरे घर पहुँच गए
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