Saturday, August 30, 2008

22nd august opening

मोहब्बत मे क्या बताये क्या पा गए हैं
और हम क्या खो गए हैं
उनसे जीत कर भी अपना दिल हार गए हैं
वो दिल से दूर रह कर भी
रात से करीब हमारे हो गए हैं
बेगाने होकर भी वो इस दिल-ए-नादान के खुदा हो गए हैं
इश्क मे जोर चलता नहीं इस दीवाने का
दीवाने खुद तेरे दीवाने हो गए हैं
वो जब हमे देख थोडा सा मुस्कुरा देते हैं
तेरी कसम हम खुदा को भुला देते हैं
क्या मोहब्बत की अदा से हमको आजमा रहे हैं
या नजरो से एक और दीवाना बना रहे हैं
क्या किसी से शिकवा करे जब अपना ही दिल हार गए
जाना था अपने घर और तेरे घर पहुँच गए

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