Friday, August 15, 2008

7 th august opening poem

इश्क नाम तो नहीं हैं मिलन का दीदार का
दिल से दिल का मिल जाना ही नाम-ए मोहब्बत हैं
जो याद आये तो ना समझना तुम दूर मुझसे
पर यादो मे कोई हर बार तुम्हे देखता जाए
तो जान लेना यही मोहब्बत हैं
वक़्त की कमी जब होने लगे तुम्हारे पास
ये वक़्त बेवफा हमसफ़र पर हो जब तुम उनके साथ
तो समझ लेना ये मोहब्बत हैं
नींद यूँ तो हर रोज़ अच्छे से आती थी
बस अब अगर वक़्त पर ये नींद ना आये तो समझ लेना ये मोहब्बत हैं
जो मौसम बदलता हो मुझे देखने के बाद
तो मत कहना मोहब्बत हैं
पर ये बदलता हुआ मौसम मुझे देखने के बाद कभी ना बदले
तो समझ लेना मोहब्बत हैं

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