Saturday, August 30, 2008

26th august opening and closing poem

कुछ आपके बारे मे हमने सुना था
कुछ दिल ने बता दिया
मैं हर चीज़ मे तेरा ही इंतज़ार करता था
तुने मुझे इतने साल बाद भी इंतज़ार का मतलब बता दिया
तेरी आँखें मुझे झील सी नहीं
वो मुझे मुझ सी लगती हैं
तेरी हर नज़र क्यों मुझको तकती हैं
तु बहुत खुबसूरत जानता हूँ
पर क्यों वो खूबसूरती भी अब तुझसे जलती हैं
जूठा गुस्सा हमेशा नाक पर तेरी रहता हैं
क्यों सच्चे प्यार को छिपाए रहती हैं
पता हैं सुनकर मुझे इस पल भी तु मुस्कुरा रही हैं
पर ७ से ११ कि बिग चाय की ये ट्रेन कहाँ आने देती हैं
साथ रहेंगे हमेशा वादा ये पक्का
वजह सांस लेने की मेरे ये बता रही हैं
दिल मे सच्चा प्यार छुपाती हैं

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