Friday, August 15, 2008

6th august closing poem

अक्सर हमने रातो मे चाँद को ये कहते सुना
कमाल हैं कि कौन हैं इतना खुबसूरत
जिसे तुमने मोहब्बत के लिए चुना हैं
चाँद तो देता हैं सबको बराबर कि रोशनी
हैरत ये हैं कि उस चाँद ने भी अब रोशनी देने के लिए उसे चुना हैं
हर कोई हैं बेखबर उसकी रोशनी से
रोशनी से भी प्यारा एक शक्स हमने चुना हैं
वो तो बस तुम्हारा ख्याल हैं
उससे क्या मेरी बराबरी
गलत ये हैं कि हमने याद करने के लिए उसे चुना हैं
हर कोई नहीं होता अपना समझने वाला
दर्द-ए दिल समझने वाला
शायद यही कारन हैं कि उदयपुर
हमने metro cities छोड़ कर आपको मोहब्बत के लिए चुना हैं

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