वो अपने इश्क मे कैसा कमाल रखती हैं
अपनी बेरुखी मे भी वो मेरा ख्याल रखती हैं
जो आज मेरी नहीं वो कल मेरी होगी
गुस्सा कितना भी करे पर मेरी मोहब्बत को इज्ज़त से संभल कर रखती हैं
अजब नहीं हैं वो जो जहाँ भर को बेवफा समझे
नज़र मे मेरी वो वफ़ा की मिसाल रखती हैं
कहाँ तक कोई उसकी हर बात का जवाब दे
(बहुत सवाल करती हैं वो )
वो मोहब्बत इस दीवाने से हर बात पे सवाल करती हैं
मेरी उदान के आगे कर दिया उसने सबको बेबस
अपनी दुआओं मे वो ना जाने कितना असर रखती हैं
वो अपने इशाक मे जाने क्या कमाल रखती हैं
अपनी बेरुखी मे भी वो मेरा ख्याल रखती हैं
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