Friday, August 15, 2008

8th august opening poem

हम आज का इंतज़ार ना जाने कबसे करते थे
जबसे आँखों मे बचपन मे सपने आते थे तब से करते थे
बस अब इंतज़ार हैं १०२ घंटो के पूरा होने का
कुछ ने कहा मुश्किल कुछ ने कहा नामुमकिन
मगर आपके प्यार से देखिये ये दिन भी इतनी जल्दी चला आया
अब दिन रात रात दिन अंकित आपके साथ होने वाला हैं
बस दीजियेगा मुझे बहुत सारा प्यार और खूब सारा हौंसला
क्यूंकि प्यार प्यार मोहब्बत का ये सफ़र अब बस शुरू होने वाला हैं

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