कहीं मिट्टी ना हो जाए ये दिल मेरा
बहुत संभाल के रखा हैं किसी को दिल मे मैंने
उसकी हर बात वही क़ैद हैं
जहाँ किसी के जज़्बात दफ़न हैं
और कितना कहर बरपायेगा ए मेरे कातिल
तेरी हर बात बस वही पे दफ़न हैं
कहा मैंने की खुले बालो मे खुबसूरत लगती हो
पर खुबसूरत एक चाँद काजल का ज़रूर गालो पर लगा लेना
सुना हैं काले चाँद को ना किसी की नज़र लगती हैं
अब झील किनारे जाना भी मैंने छोड़ दिया
झील के पानी मे भी मुझे तेरी तस्वीर सी लगती हैं
कह दे एक बार तो साँस भी ना लू
इन साँसों को भी अब तेरी आदत सी लगती हैं
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