ए मेरे दिल उसकी इल्तजा कर
फिर भी वो ना आये तो उस खुदा से उसके आने की दुआ कर
क्या जाने साथ कहाँ तक दे ये ज़िन्दगी
हंसते हुए ज़माने मे हंसते हंसते तु उससे मिला कर
नाज़ुक बहुत हैं दिल इसे सम्हाल कर रखना
हर अजनबी नज़र से रिश्ता किया कर
ये सोच तो मुझे कहीं का नहीं रखती मेरे कातिल
ख्वाबो कि रोज़ रोज़ ना ऐसे तु चादर बिना कर
कल हम मे से किसी ने नहीं देखा
बस आज हैं तो आज मे रहा कर
अपने मन कि हर बात किसी से तो कहते नहीं
बस अंकित हैं तो अंकित से तो कहा करो
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