Friday, August 15, 2008

2nd august closing poem

तुम जिसे रोता हुआ छोड़ कर गए थे एक दिन
हमने उस शाम को अपने सीने से लगा रखा हैं
चैन लेने नहीं देता ये मुझे
हमने तेरी यादो का तूफ़ान हमने अपने दिल मे जगा रखा हैं
जाने वाले ने कहा था एक दिन ज़रूर लौट कर आएगा
बस इसी आस पर हमने दरवाज़ा खुला रखा हैं
तेरे जाने पर उडी जो धुल बस
उसी धुल से हमने अपना घर सजा रखा हैं
मुझको कल शाम से वो बहुत याद आने लगा हैं
सच कहू दिल ने मुद्दत से एक शक्स को दिल मे बिठा रखा हैं
आखिरी बार जब भी आये जुबान पे कोई नाम वो तेरा नाम हो
खुदा से बस यही फरियाद करता हैं दिल
दिल को रिश्वत देकर बस यही समझा रखा हैं

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