रुत की इस शरारत मे
आज मौसम की इस एक और बारिश मे
खुले आसमा तले जब जब बूंदों की छतरी खुले
हम दिल थाम कर रह जाते हैं
जब बारिश रुकने के बाद
तेरी जुल्फे इस हवा मे उडे
नहर किनारे कच्ची सड़क पे
एक साया भीगा भीगा सा
बारिश आए न आए वो साया मुझे हर मौसम मे वाही मिले
बारिश मे तेरा हाथ थाम दूर तक चलना
प्यार की बात करना और पाल पर बैठकर उन आंटी का भुट्टा सेकना
कभी मुझसे बात करते करते तेरा चुप हो जाना
कभी बिना सोचे बस तेरा बोलते चले जाना
दर्द की बारिश साहिल हैं मध्धम
तू ज़रा आहिस्ता चल
दिल न मिले हैं अब तक तू ज़रा आहिस्ता से चल
तेरे मिलने और तेरे बिछड़ जाने के बीच एक फासला बाकी हैं
मैं इन बूंदों को ज़रा बाहों मे भर लू ज़रा आहिस्ता चल
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