जब मिलता हैं दर्द तो बताया नही जाता
आंसू से कई साल का रिश्ता हैं
ये हिसाब लगाया नही जाता
बरसात से क्या गिला अपना
जब कच्ची मिट्टी का घर था अपना
पानी मे वो बह जाए तो फिर बनाया नही जाता
रोज़ मेरे घर मे तेरे जाने के बाद
हर शाम अँधेरा हो जाता हैं
पर रोशनी का कोई दीपक अब मुझसे जलाया नही जाता
कुछ उम्मीद तो टूटी हैं अपनी
अब उम्मीदों के शहर मे एक नया घर बसाया नही जाता
किससे कहे अपना हाल-ऐ-दिल
रेडियो पे ये चेहरा दिखाया नही जाता
तेरा चाहने वाला हर कोई अब मेरा दुश्मन
हर दुश्मन को अब दोस्त बनाया नही जाता
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