Sunday, July 13, 2008

7th july evening poem

पहले मैं चैन से सोया करता था
अब रातो को करवटे बदलता हूँ
पहले मैं चुप चुप सा रहता था
अब खुश होकर बोलता रहता हूँ
शायरी कविताये पढने का शौक़ तो पहले भी था
पर अब ख़ुद कुछ लिखने लगा हूँ
उनसे मुलाक़ात होने के बाद जाने क्यों थोड़ा थोड़ा बदलने लगा हूँ
पहले मैं दोस्तों की नक़ल किया करता था
अब कांच के सामने उनकी नक़ल किया करता हूँ
जिंदगी के सफर मे अकेले चलते चलते
अब उसके साथ चलने की ख्वाहिश करता हूँ
सब लोग उसका नाम लेकर मुझे परेशान करते हैं
पर अब परेशान होना भी उसके नाम से पसंद करता हूँ
वो जिन बातो पर मुझको हंसाया करते थे
अकेले मे उन्ही बातों को दोहराकर हंसा करता हूँ
लोग मेरे इस बदलाव की वजह पूछते हैं
न जाने क्यों मैं किसी बात का जवाब नही देता हूँ
वो पूछते जाते हैं मैं सुनाता जाता हूँ
वो पूछते जाते हैं मैं सुनाता जाता हूँ
और ऐसे ही पूछते पूछते मैं उनके कानो से यूँ चला जाता हूँ

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