Wednesday, July 16, 2008

17 th july opening poem

दिल तोड़ना तुमको सिखाया किसने
तुम तो ऐसे ना थे
तुमको ये बताया किसने
ख़ुद बात बात पर रोने लगती हो
और हमे मुस्कुराने की कसम देती हो
एक बात बताओ तुम्हे तो ये सब नही आता था
ये सब तुम्हे बताया किसने
हमेशा तुम्हारा हाथ रहता था मेरे हाथो मे
क्यों मेरे हाथो से अपना हाथ छुडाया तुमने
एक अहसान तेरा हमेशा मुझ पर आज भी रहता हैं
अहसानों को बिना बोले उतारा किसने
ये हवाए रोज़ चलती थी पहले
पर तुझे छूकर बहना हैं
बहते बहते मेरी बाहों मे आना हैं
हवाओ के कानो मे ये राग सुनाया किसने
कौन हैं ये जो कुछ बताता हैं
ये प्यार हैं जो बिन कहे हर बात समझ जाता हैं
समझ मे इसकी सब आता हैं
पर बस ! न जाने क्यों ये चुप सा हो जाता हैं

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