सोचता हूँ की चाँद को मुठ्ठी मे भर के मैं यहाँ ले आऊं
अपने पास सजाकर उसको दुल्हन की तरह बना लू
लोग दूर से देखने आए उसको और मैं उसको आँचल मे छुपा लू
पर ये कमबख्त मुझसे बहुत दूर रहता हैं
कभी कुछ कहता हैं और कभी चुप रहता हैं
कहाँ चाहने से हर चीज़ मिल जाती हैं
तभी तो चाँद की रोशनी बिन मांगे ही सितारों पर छा जाती हैं
कभी चाँद दूर बहुत दूर नज़र आता हैं
कभी चाँद के नही होने का एक बहाना क्यों नही मिल जाता हैं
ये हैं वो चाँद जो जितना दूर हो उतना पास नज़र आता हैं
ये हैं वो चाँद जो कभी कभी माशुका की तरह नज़र आता हैं
ये हैं वो चाँद जो तारो मे सबसे अलग दूर खड़ा हो जाता हैं
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