ये किसने दरवाज़ा खटखटाया हैं
मुझे उम्मीद हैं की शायद वो आया हैं
लेकिन इतना लेट
आज पहली बार इस वक्त पर उसने मुझे क्यों सताया हैं
नही शायद कोई रास्ता भटक गया होगा
धत् शाम के इन पालो मे कोई नही आया हैं
ये हवा ही होगी जिसे मेरी याद एक बार फिर आई होगी
तभी तो आज इस बारिश ने मुझे फिर से भिगाया हैं
काजल किसी की आंखों मे कैसा लगता हैं
इन बारिश की बूंदों ने मुझे बताया हैं
ये बुँदे भी किसकी जागीर हैं
ये पता हवाओ ने सिखाया हैं
जब इनका मन करता हैं चली आती हैं
न सुबह देखती हैं न शाम का पता बताती हैं
न जाने मौसम के झोंके को ये हवाए क्या सिखाती हैं
कमबख्त कहीं से भी चली आती हैं
और उस दीवार पे लगी तेरी तस्वीर इक झोंके से टेढी कर जाती हैं
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