तुम्हारे बिना ये जिंदगी अब ख़त्म सी हैं
बस एक सज़ा एक सितम सी हैं
आ जाओ हमारी बाहों मे इस जिंदगी मे तुम्हारी कमी सी हैं
दूर इस जहाँ से हम एक आशियाना बनायेंगे
जो ख्वाब पुरे नही हुए उन्हें मिलकर सजायेंगे
भाग दौड़ की जिंदगी मे जितना भागेंगे
उतना याद आयेंगे
तुम जो मुझसे उदास हो जाओगे
छोड़कर मुझको अगर कहीं चले जाओगे
सोचा नही था कि मुझे इतना याद आओगे
ना ख़ुद खुश रहोगे
ना मुझे खुश देख पाओगे
रहो दुनिया के किसी कोने मे
किसी के पास किसी के साथ
पर सच हर पल मुझे बड़ा याद आओगे
1 comment:
i just love this poem.
its truly admirable!
keep up the good work
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