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अक्सर जब ये मन भर आए
हैं रूप अनेक इसके पर ये हर पल दिल को सहलाये
गम अगर ज्यादा हो तो बन जाती हैं ये सिसकिया
खुशी अगर ज्यादा तो ................
हमेशा ये साथ हैं देते
हमे हर पल हैं बहलाते
तभी ये पानी की बुँदे शायद आंसू हैं कहलाते
कभी बारिश बनके छम से बरस जाते
कभी बरसते बरसते एकदम से रुक जाते
कभी चलते बादलो के साथ
कभी बादलो से आगे निकल जाते
कभी दूर उस पहाड़ पे जाकर पेड़ के सीने मे न जाने कहाँ खो जाते
कहते हैं जब बारिश आती हैं तेरे साथ की याद आती हैं
मैं रख लू ख़ुद को काम मे कितना भी busy
मगर जहाँ ब्रेक होता हैं मुझे तू नज़र आती हैं
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