Friday, July 4, 2008

3rd july closing poem

जो देखा न था दिखाया तेरे प्यार ने
जो पाया न था दिया तेरे प्यार ने
रोज़ बादलो मे धुंधला सा एक अक्स नज़र आया
कुछ इस कदर सताया उस बादल ने तेरे प्यार मे
माचिस जलाई रात अंधेरे मे तेरा घर ढूढने को
ये दाग हाथ पर लगाया तेरे प्यार ने
सपने तेरे सिमटे न मेरी आँख मे
न जाने कितने शहरो मे घुमाया तेरे प्यार ने
न जाम याद न अंजाम
एक चाय का प्याला क्या पिलाया तुने तेरे प्यार मे
दीवाने को न कपडे पहनने का ढंग था
न आती थी जीने की अदा
उसे साँस लेना सिखाया जीना सिखाया अपना बनाया तेरे प्यार ने

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