Monday, July 28, 2008

28th july closing poem

सागर मे किसी पत्थर पर तुम्हारा और मेरा नाम लिखा हैं

जंगल मे दूर किसी पेड़ पर तुम्हारा और मेरा नाम लिखा हैं

वो करवटे बदलते हैं आंखों से बहुत बात करते हैं

वो करवटे बदलते हैं वो आंखों से बहुत बात करते हैं

शायद पलकों के झपकने पर मेरा नाम लिखा हैं

वो ज़मीं का फूल मैं प्यार का बादल

शायद उस उड़ते बादल पर मेरा नाम लिखा हैं

चाहते हैं एक दूजे को जैसे आसमां चाँद को

सूरज अपनी रोशनी को

शायद चाँद की रोशनी मे कहीं मेरा नाम लिखा हैं

मरते हैं जीते हैं एक दूजे के लिए हम साँस लेते हैं

पर अब उसकी हर साँस पर सिर्फ़ मेरा नाम लिखा हैं

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