कहते हैं लोग की ये इश्क आग का दरिया होता हैं
कैसे कहे की ये दरिया ही महबूब तक पहुँचने का जरिया होता हैं
बस जब आँखें बोझल हो जाए और याद मे मेरी भर आए
फिर ख़ुद को धोखा मत देना और चुपके चुपके रो लेना
जब पलके जान कर मुंदी हो और सब समझे तुम सोते हो
तुम तकिया मुह पर रख लेना पर चुपके चुपके रो लेना
ये दुनिया जालिम दुनिया हैं बात दूर तक फैलाएगी
तुम सबके सामने चुप रहना पर चुपके चुपके रो लेना
जब बारिश चेहरा धो डाले और अश्क भी बुँदे लगते हो
वो लम्हा हरगिज़ मत खोना और चुपके चुपके रो लेना
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