Tuesday, July 1, 2008

1st july opening poem

जो हैं हमारी बातों मे ख्वाबो मे रातो मे
झिलमिलाते प्यार वाले सितारों मे
जो हैं हमारी बातों मे ख्वाबो मे रातो मे
झिलमिलाते प्यार वाले सितारों मे
बस अब शामिल नही मैं उसके जज्बातों मे
समझा जिसे मंजिल उसी ने तोडा होगा
कभी आपका भी दिल
कभी रोते रोते हंसाया होगा
कभी हंसते हँसते उसने रुलाया होगा
सच कोई बारिश मे तुम्हे भी याद आया होगा
जुर्म हैं मेरा कि उसको उससे भी ज्यादा प्यार किया
जुर्म हैं मेरा कि मैंने उसको उससे भी ज्यादा प्यार किया
पर कातिल नही मैं उसका
ये खुदा ने उसको बताया होगा
जब आयेगा तूफान साहिल से न होगी ये नाव पार
तब हम कहेंगे साहिल नही हूँ मैं जो बीच मे तेरा हाथ छोड़ दे
हम वो हैं जो तेरी नाव अपने कंधे पे लेके इस किनारे से उस किनारे पे छोड़ दे
मैं हूँ वो अहसास जो तुझे कभी अकेला न होने देगा
बात कुछ हो बात किसी की हो
तेरे जैसी बात अब किसी से नही होने देगा

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