Monday, June 30, 2008

30th june evening poem

बातो से गम कम नहीं होते
आंसुओ से दिल के कोने नाम नहीं होते
थी उम्मीद अपनो से इस दिल को कभी
पर हमेशा साथ ये हमदम नहीं होते
बेबसी हंसाने लगी खामोशिया अब हैं गूंजती
बंद कमरों मे रोने वालो के लिए मौसम नहीं होते
जब ख़ुशी हैं नाचती गाती
तो फिर क्यों हम भीड़ मे कभी खुश नहीं होते
प्यार सब रंजिशे मिटाता हैं
प्यार प्यार करना सिखाता हैं
तो क्या ऐसे दिलो मे कभी गम नहीं होते
याद तो करते हैं उनको हम रात दिन
ख्वाब मे उनके क्या कभी हम नहीं होते
हम होते हैं उनके ख्वाब मे जिस दिन
उसी रात वो सब कुछ भूल चैन से सोते हैं
ना रोते ना कुछ कहते बस नींद मे भी हंसते रहते हैं

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