बातो से गम कम नहीं होते
आंसुओ से दिल के कोने नाम नहीं होते
थी उम्मीद अपनो से इस दिल को कभी
पर हमेशा साथ ये हमदम नहीं होते
बेबसी हंसाने लगी खामोशिया अब हैं गूंजती
बंद कमरों मे रोने वालो के लिए मौसम नहीं होते
जब ख़ुशी हैं नाचती गाती
तो फिर क्यों हम भीड़ मे कभी खुश नहीं होते
प्यार सब रंजिशे मिटाता हैं
प्यार प्यार करना सिखाता हैं
तो क्या ऐसे दिलो मे कभी गम नहीं होते
याद तो करते हैं उनको हम रात दिन
ख्वाब मे उनके क्या कभी हम नहीं होते
हम होते हैं उनके ख्वाब मे जिस दिन
उसी रात वो सब कुछ भूल चैन से सोते हैं
ना रोते ना कुछ कहते बस नींद मे भी हंसते रहते हैं
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