Monday, June 30, 2008

19th june closing poem

मेरी आँखों को सुकून मिले
कुछ ऐसे तुम मुझसे नज़ारे मिलाना
दिन का हर पल हर लम्हा सुहाना लगे
कुछ ऐसे मेरे साथ थोडा वक़्त बिताना
हंसी मेरे होठो से कभी ना जाए
कुछ ऐसा मेरे लिए तुम मुस्कुराना
हो जाए मुझे खुशियों की आदत
कुछ ऐसे मेरी ज़िन्दगी से गमो को मिटाना

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