पलके झुकाए जब वो चले आते हैं
देख कर उन्हें हम जिंदगी से चले जाते हैं
उनकी नज़ारे तो अब तक हमसे मिली नही
फ़िर भला क्यों हम चैन से सो नही पाते हैं
वो सुरमई आँखें करती क्यों ऐसी बात हैं
जवाब मे हम भी यार इक ग़ज़ल गुनगुनाते हैं
जिस तरह की खामोश बातों से हाल ऐ दिल कहा जाता हैं
और वो देखिये हाय हमारा दिल चुराते हैं
आप कहें तो अब मैं मेरी आँखें मेरी बातों की तरह कहीं छुपा लू
तेरी आंखों को देख अपने घर का नाम भी चक्षु हाउस बना लू
देखो जामा ये इश्क किन्ना तड़पाता हैं
किसी को आंखों मे बसो और वहीदिल दुखाता हैं
और हमे उसके इस अंदाज़ पर भी बहुत प्यार आता हैं
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