खूब आती हैं जब भी आती हैं
याद तेरी मुझे बहुत सताती हैं
धुप मे छाँव मे नींद मे भी
याद तेरी उतर आती हैं
हम रात भर कभी तो करवट लेते हैं
अश्क इन आंखों मे तुझे याद करे तो चले आते हैं
क्या क्या लाल आँखें देख दोस्त फरमाते हैं
पर तेरी यादो की कसम
कसम तेरे वादों की
हम किसी से तेरा नाम नही ले पाते हैं
रोज़ मर मर के मुझे जीने को कहता क्यों हैं
कहता हैं तो चुप रहता क्यों हैं
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