मोहब्बत की जुबां छोडो
मेरी जुबां तो समझो
धुप ही धुप निकली हैं आज तो
ए बादलो टूट कर मुझ पर आज तो बरसो
जैसे शहरो मे हर शाम हवा चलती हैं
तुम इस तरह मुझमे चलो
और मुझे सबसे अलग कर दो
तुम छुपा लो मेरा दिल क़ैद मे अपनी
और मुझे मेरी निगाहों से भी ओझल कर दो
मैं कोई मसला हूँ तो मुह न फेरो मुझसे
अपनी चाहत से मेरे पास बैठकर मुझे बस हल कर दो
अपने गमो से कहो किवो हर पल बस मेरे साथ रहे
ये अहसास अपने होने का बस यही अहसास मेरे नाम कर दो
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