आज इन हवाओ मे भी अलग अंदाज़ हैं
आप हमसे दिर होके भी हमारे दिल के बहुत पास हैं
जबसे बहाए हैं रंग तुमने मेरी दुनिया मे
तबसे ही इस दिल मे दोबारा जीने की आस हैं
अरमान था तो बस तुझे पाने का
गम हैं तो बस तेरे शहर से चले जाने का
इससे बढ़कर क्या होगी हद मेरी दीवानगी की
कि अभी तक करता हूँ इन्तेज़ार तेरे लौट आने का
जनता हूँ कि तू सुनती हैं इस पल मुझे कान लगाकर
तभी तो गम हैं कमबख्त शो ख़तम करके जाने का
कोई तो बहाना बना मेरे घर आने का
इन्तेज़ार करता हैं ये दीवाना पलके बिछाकर
मोहब्बत के फलक से उतर आने का
जिंदगी बार बार एक चीज़ सिखाती हैं
जब कोई दूर जाता हैं तो उसके होने की कमी बताती हैं
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