बेशक कुछ वक़्त का इंतज़ार मिला हमको
पर खुदा से बढ़कर यार मिला हमको
ना रही तमन्ना किसी जन्नत की
तेरी मोहब्बत से वो प्यार मिला हमको
जब तुझे मैंने देखा पहली बार ही अपना लगा
पहले भी हमे कोई यूँ समझने वाला होता
तो आज हम यूँ नासमझ ना होते
काश हम पर भी कोई जान लुटाने वाला होता
तो हमे भी अकेलेपन का मलाल ना होता
पर किसी का होना ना होना
तकदीर की बात होती हैं
हम क्या करे सारे शहर की परियो को छोड़
ये आँखें तेरी सादगी पर बंद होती हैं
तु मान जाए इस शायर की हर बात
यही हैं इस शायर के जज़्बात
चलो अच्छा हुआ तु मेरे घर के पास नहीं रहती
वरना मोहल्ले भर की नज़र मुझ पर ही रहती
अगर मोहब्बर का पता बताने वाले होते
तो तेरी कसम हम शायर ना होते
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