Monday, June 30, 2008

12th june opening poem

वो प्यार ही क्या जिसमे जुदाई नहीं होती
वो इश्क क्या जिसमे रुसवाई नहीं होती
वो जान क्या जिससे लड़ाई नहीं होती
वो दिल क्या जिसमे तु नहीं होती
वो साँसे क्या जिसमे तेरी खुशबु नहीं होती
वो ज़िन्दगी क्या जिसमे तेरी बात नहीं होती
होती हैं रोज़ लड़ाई मेरी तेरी तस्वीर से
घंटो रोता रहता हूँ मैं उसके सामने
पर उससे कोई बात नहीं होती
सब कहते हैं सब्र रख प्यार ऐसे ही नहीं होता
मैं दुहाई देता हूँ अपने अकेलेपन की
पर कोई मेरा साथ नहीं देता
मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं देता
वो खुदा सारी दुनिया को मोहब्बत देता हैं
फिर हमे कुछ पल को भी प्यार क्यों नहीं देता
एक वो जो कुछ नहीं कहता
और एक मैं जो चुप नहीं रहता
वाह मोहब्बत !! तेरा जज्बा क्यों सब मे नहीं रहता

No comments: