कौन जानता हैं कि क्या होगा
पर अब जो होगा सच बहुत अच्छा होगा
इस जहाँ मे मैं अकेला दीवाना तो नही
कहीं न कहीं कोई न कोई तो मुझ पर भी फ़िदा होगा
कल मस्जिद मे मैंने देखा था तुझे
शायद मेरे दिल को कोई धोखा हुआ होगा
तू मन्दिर मस्जिद मे कहाँ जाती हैं
खुदा को शायद कुछ पल के लिए ख़ुद पर भरोसा न होगा
तभी तो एक साया तेरे जैसा उसने भी मेरी तरह मस्जिद मे देखा होगा
आज हवा मे एक अजीब सी ठंडक हैं
आंसू तेरा तेरी आँख से शायद किसी के हाथ पर गिरा होगा
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