कभी उसे भी मेरी याद सताती होगी
अपनी आँखों मे वो मेरे ख्वाब सजाती होगी
वो जो हर वक़्त मेरे ख्यालो मे बसी रहती हैं
कभी तो मेरी सोच मे खो जाती होगी
वो जिसकी राह मे पलके बिछी रहती हैं
कभी तो मुझे अपने पास बुलाती होगी
मेरी हंसी मे रहती हैं वो हर पल हंसी बनकर
याद कर मुझे कभी वो भी मुस्कुराती होगी
वो जो शामिल हैं मेरी कविता मे
कभी तन्हाई मे कोरे कागज़ पर उंगलिया घुमाती होगी
जिसके लिए मेरा दिल बेकरार रहता हैं
मेरे लिए अपना चैन वो भी तो गंवाती होगी
जिसके लिए मेरी हर रात हैं करवट करवट
कभी तो उसे भी नींद ना आती होगी
मेरी लिए रोशनी का मतलब हैं जो
कभी तो वो मेरी चाहत का दीप मंदिर मे जलती होगी
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