हाय भगवान तू भी ये कैसा रिश्ता बनता हैं
एक तरफ़ तो दिल उनके लिए बैचैन रहता हैं
दूसरी तरफ़ से न कोई जवाब आता हैं
जलती थी समां उनके मन मे हमारे लिए
कुछ दे दो थोडी जगह उनके दिल मे
इसमे तेरा क्या जाता हैं
बस एक ही ख्याल मेरे दिल मे बार बार आता हैं
अगर कुछ नही तू मेरे लिए
क्यों अंधेरे मे भी एक साया
मुझे साफ़ साफ़ नज़र आता हैं
No comments:
Post a Comment