Monday, June 30, 2008

11th june opening poem

कभी कभी आता हैं जिंदगी मे ख्याल
किमेरी जिंदगी मे भी हैं कोई बेमिसाल
गुज़रे जिंदगी पुरी बस उसी के साथ
जिंदगी के साल न लगे साल
साथ लगे जिसका रूमानी
हो जैसे वो कोई रोशनी
मिलू जो उससे तो एक अहसास हो
हो जैसे कोई ख़ास
दूर होकर भी लगे वो मुझे यही कहीं आस पास
समझे मुझे मुझसे भी ज्यादा
वो हैं जिसे कह सकू मैं अपना हिस्सा आधा
हैं मुझे उस शक्स का इन्तेज़ार
जिस पर हो मुझे सबसे ज्यादा ऐतबार
दुनिया चाहे कुछ भी कहे मेरे लिए
कुछ भी सोचे मेरे लिए
किसी की सोच मे वो शामिल न हो
मेरे हर ऐतबार पर उसे हो ऐतबार
मैं पूरी करू उसकी हर ख्वाहिश
भले कर रहा हो वो मेरे प्यार की आज़माइश
ताउम्र चल सकू मैं जिसके साथ
और कह सकू अपने दिल की हर बात

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