Friday, June 27, 2008

22nd may closing poem

दूर से कोई आए कहीं
चुपके से दिल मे समां जाए कहीं
रातो को जगाये मेरी नींदे उडाये
अपना दीवाना वो एक चेहरा सब को बनाये
कभी शरमाये प्यार से कभी बहुत इतराए
एक झलक दिखलाकर न जाने वो कहाँ चली जाए
देखे मुझे जब वो आँखें हाय मैं खो जाऊ
तेरी कसम सिर्फ़ तेरा हो जाऊ
इन आंखों के रास्तो से पुरी जिंदगी तेरे नाम करू
तेरी प्यारी बातो से अपना प्यार जताउ
कभी कहू सारी बातें तुझसे कभी जान के भी चुप रहू

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