Monday, June 30, 2008

21st june closing poem

आज कुछ कहने को नही मेरे

लगता हैं कि कोई मुझसे मेरे शब्द चुरा कर ले गया

आज कुछ देखने को नही हैं मेरे पास

लगता हैं कि कोई मुझे दुनिया का सबसे प्यारा चेहरा दिखा गया

आज कुछ बताने को नही मेरे पास

लगता हैं कि कोई मुझे अपना सच्चा साथी बता गया

आज नही किसी का हाथ थामकर पाल पर चलने का दिन

शायद कोई मुझे सागर से प्यार करना सिखा गया

आज नही मेरी आंखों मे इतनी ताकत

कि मैं किसी की आंखों से आँखें मिला सकू

शायद कोई आंखों आंखों मे मुझे अपना बना गया

आज नही शब्द मेरे पास तैरते हुए

आज नही जज़्बात मेरे होठो तक आकर बहकते हुए

आज नही मेरे पास उसका अक्स

उसकी हर बात मगर मेरे पास हैं

आज हैं वो चेहरा जो इस दुनिया मे सबसे ख़ास हैं

आज हैं वो जो शायद मेरे सामने न होता हुआ भी

मेरे दिल के मेरी आंखों के आस पास हैं

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