Monday, June 30, 2008

2nd june opening poem

आज रूठा हुआ एक दोस्त बहुत याद आया
अच्छा गुज़रा हुआ कुछ वक़्त बहुत याद आया
मेरी आँखों के हर अश्क पे रोने वाले
आज जब आँख रोई किसी की तो वो बहुत याद आया
जो मेरे दर्द को सीने मे छुपा लेते हैं
आज जब दर्द हुआ मुझे तो वो बहुत याद आया
जो मेरी आँख मे सपने की तरह रहता हैं
आज सपना टुटा किसी का तो वो बहुत याद आया
जो मेरे दिल के पास था किसी ने उसे दिल से दूर किया
तो वो बहुत याद आया

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