Monday, June 30, 2008

28th june evening poem

आंखों से ही लफ्जों को अदा कर दिया उसने
चुप रहकर भी इज़हार-ऐ-वफ़ा कर दिया उसने
हसीं बाला का मतलब उससे मिलकर जन मैंने
बिन बोले ही सब कुछ बाया कर दिया उसने
चंचल सी मुस्कुराते आंखों मे शोख अदाए
अपना मुझे समझा अपना समझकर
दीवाना कर दिया उसने
मेरे दिल को पहले मेहनत के लिए जाना जाता था
आजकल उसने दीवानों का नाम देकर
शहर भर मे चर्चा कर दिया उसने
लाखो थे उसकी सूरत के दीवाने
(सूरत के सीरत के नही )
कि लाखो थे उसकी सूरत के दीवाने
एक गहरी साँस लेकर उसने नाम मेरा अपनी आंखों से
सारे शहर के सामने आज बया कर दिया उसने

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