Monday, June 30, 2008

24th june opening poem

हथेली पर जिसे लिख कर बार बार मिटाती हो
वो नाम मेरा ही तो हैं
मेहंदी जिसके नाम की रचाती हो वो नाम मेरा ही तो हैं
गुस्सा जिस बात पर बार बार करती हो
गुस्से से कागज़ पर जिस नाम को बार बार मिटती हो
वो नाम मेरा ही तो हैं
सुनकर जिसको पलके तेरी झुक जाए
वो नाम मेरा ही तो हैं
तेरे होठो मे छुपकर होठो पे ना आ पाये
बस धड़कन मे जाकर कई देर तक कम्पकपाये
वो नाम मेरा ही तो हैं
तेरी पूजा मे तेरी हर दुआ मे
झिलमिलाती हर शाम मे पाल पर बिताती उस सुबह मे
जो हर पल तेरी यादों मे चलता जाए
वो नाम मेरा ही तो हैं
वो बारिश की बूंदों मे वो सागर की लहरों मे
वो नाम मेरा ही तो हैं
अपना नाम जिससे जोड़ा हैं तुने
तेरे बिना एक नाम अधुरा हैं जो
वो नाम मेरा ही तो हैं

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